Wednesday, 24 July 2013

Tuesday, July 9, 2013

तामियां: यहां मिलती है स्वर्ग की सुन्दरता, शांति और पाताल तक के दर्शन

नितिन दत्ता/ तामिया(छिंदवाडा)। पर्यटन के नक्शे में शुमार और मिनी पचमढी कहलाने वाले तामिया पर्यटकों की पहली पसंद बन गया है| पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित हो रहे तामिया के दर्शनीय स्थल पातालकोट में प्रतिवर्ष होने वाले एड्वेंचर स्पोर्ट्स में दूर दूर के प्रकृति प्रेमी जुटते है| तामिया में बारहमासी पर्यटको की आवाजाही रहती है| तामिया में घूमने के लिये अनेको स्पॉट है साथ ही घूमने फिरने ,खाने पीने की रहने की बेहतर सुविधाये उपलब्ध है| जिला मुख्यालय से 56 किलोमीटर दूरी पर स्थित तामिया प्राकृतिक नजारो से भरपूरा है|

छोटामहादेव

छिंदवाडा जिले के तामिया तहसील मुख्यालय क्षेत्र तामिया में वन विभाग के रेस्ट हाउस से एक किलोमीटर नीचे सघन वन क्षेत्र में स्थित दर्शनीय स्थल छोटा महादेव पहाडियो से घिरा है तामिया वन परिक्षेत्र के कक्ष क्रमांक 214 में स्थित दर्शनीय स्थल छोटा महादेव में पर्यटन विकास के लिये अनेको निमार्ण कार्य कराये गये | पहले छोटा महादेव जाने के लिये कुछ दुर्गम रास्ता था उसके बाद भी भोलेनाथ के दर्शन करने श्रध्दालु एक किलोमीटर नीचे जाते थे आज छोटा महादेव की यात्रा वन विभाग द्वारा बनाई पक्की सीडी और आकर्षक रैलिंग से आसन हो गई है छोटा महादेव में बारहमासी बहने वाला झरना प्रमुख आकर्षण का केंद्र है |
क्षेत्रीययुवा नितिन दत्ता बताते है कि लगभग आठ हजार की आबादी वाले तामिया कस्बाई क्षेत्र में पेयजल के की पूरी व्यवस्था छोटा महादेव से होती है  छोटा महादेव में प्राकृतिक रूप से अनेको जलस्त्रोत है पहाडियो से रिसकर आने वाला पानी चारो तरफ सुंदर मनोहारी दृश्य बनाता है वर्षभर सैलानी छोटा महादेव पंहुचते है वही शिवभक्तो की आवाजाही भी हमेशा रहती है नववर्ष मकर संक्रंति और शिवरात्री में छोटा महादेव में श्रध्दालुयो का हुजुम उमड पडता है वन विभाग के विश्रामगृह से समीप नीचे की जाने पर ही रमणीक दृश्य सामने आ जाते है नीचे जाने के ठीक पहले एक प्राचीन समाधि स्थित है जहां हर आते जाते लोग एक पत्थर फेकते थे अब ऐसा कम ही होता है | 
अब एक किमी की गहराई के शुरू होने से पहले ही बंदरकुदनी नुमा छोटी पहाडी के नीचे कुछ सीडीया उतरने पर वन विभाग की बनाई लोहे की चबुतरामय छतरी नजर आती है उस से दांई और कुछ कदम चलने पर बारीश में धसके हुये पहाड के बडे बडे  चट्टानी टुकडो के बीच टेढे मेढे रास्ते से होकर गुजरते हुये सीधा कच्चा रास्ता मिलता है वहा भी भूस्खलन के चलते मिट्टी और पत्थर के बीच पहाडो से रिसता पानी जमीन पर मिलता है यही से भगवान भोलेनाथ और झरने के पास पहुचने का एक पगडंडीनुमा रास्ता भी मिलता है सीधे चलने पर बांयी और ग्राम पंचायत तामिया का पम्पहाउस और दांयी तरफ पानी से भीगी काई की हरी चादर लपेटे पहाडी दीवार आपका स्वागत करती है इन चट्टानो में जिम्नोस्पर्म प्रजाति के फर्न और अन्य वनस्पतिया नजर आती है इस हरी दीवारो पर उकेरे कुछ नाम लिखे नजर आते है यहा से आगे बढकर कुछ दुर चलते ही पक्की सीडीयो की लम्बी ढलान से नीचे उतरने पर एक छोटा झरना आपका स्वागत करता है यहा पर भी पक्की टंकी बनाकर जल संग्रह किया जा रहा है | 
इसके ठीक आगे सुरदास बाबा की समाधि है जनचर्चा के अनुसार वर्षो पहले छोटा महादेव के शिवमंदिर में पुजारी रहे नेत्रहीन सुरदास बाबा की चोरो ने दानपेटी के रुपैयो को लूटने को लेकर हत्या कर दी थी यहा से थोडा नीचे जाने पर देवी पार्वती मंदिर के पास एक और छोटा झरना बहता था अब उस पर भी पाइप लगा दिया गया है पार्वती मंदिर के पास से गुजरती हुई बरसो पुरानी छोटी गुफा है इस मंदिर से लगी चट्टानी इस दीवार से सटकर आप भोलेनाथ के मंदिर और झरने के पास पंहुचते है प्राचीन शिवमंदिर में पास ही स्थित झरने से भोलेनाथ के मंदिर में पहले एक खोखले बांस से शिवलिंग के उपर पानी आता है | झरने के मुख्य केंद्र में इसके ठीक नीचे झरने का पानी पहले कलकल की सुमधुर ध्वनी के साथ सभी को लुभाता है, हर धर्म सम्प्रदाय,हर क्षेत्र हर आयुवर्ग के लोग यहा आज भी प्रकृति के शांत वातावरण में पिकनिक मनाने पहुचते है यहा तामिया के बच्चो की बाल गणेश समिति मकरसक्रंति,शिवरात्री में भंडारे का आयोजन करती है वही यहा बीते वर्षो से हर साल गर्मी में भगवान शिव का अभिषेक चल रहा है, |

वल्चर पाईंट

अगर आप छोटा महादेव से आसमान की और देखे तो पहाडो के बीच का नजारा आपके बढते कदमो को रोक देगा उपर दिखने वाली लाल पहाडी में गिध्दो का संरक्षित क्षेत्र है यानी पर्यटको को लुभाने वाला वल्चर पाईंट इस पहाडी के उपर है जहा जाने का रास्ता वन विभाग के रेस्टहाउस के पास से है इसके उपर भी वन विभाग ने रैलिंग और वल्चर पाईंट का निर्माण किया है|

तुलतुला पहाड

कोहरे  में लिपटा तुलतुला पहाड कोहरे से लिपटे हुये हिमालय सा अभास कराता है |तुलतुला पहाड के साथ सुर्यास्त देखना बडा ही सुखद अनुभव है | जिसका आनंद लेने दुरदराज से पर्यटक पीड्ब्लूडी और फारेस्ट रेस्ट हाउस में पहुचते हैं|

सिंहवाहिनी नैनादेवी मंदिर

तुलतुला पहाड के नीचे स्थित सिंहवाहिनी नैनादेवी मंदिर आस्था का महत्वपूर्ण केन्द्र है| तामिया से चार किमी दूरी पर स्थित इस मंदिर में  की दोनो नवरात्री में यहा धार्मिक आयोजनो में श्रध्दा का सैलाब उमड पडता है |छिंद्वाडा भोपाल मार्ग होने के कारण वर्षभर श्रध्दालु यहा आते है ,पुजारी झीनानंद जी बताते है की देवी के दरबार से कोई खाली हाथ नही लौटता नैनादेवी सबकी मनोकामना पूर्ण करती हैं|
बडा महादेव यात्रा और भूराभगत मेला – तामिया से भूराभगत 25 किमी की दूरी पर है यह क्षेत्रजुन्नारदेव विकासखंड में आता है लेकिन वन परिक्षेत्र सांगाखेडा तामिया वन अनुभागका हिस्सा है |प्रतिवर्ष महाशिवरात्री में होशंगाबाद जिले में पचमढी  के पास स्थित चौडागढ की पदयात्रा इसी रास्ते से शुरू होती है |यंहा लगने वाले मेले में भी दूर दूर से लोग पहुचते हैं|

ग्वालगढ पहाडी और जलाशय

महज आठ हजार की आबादी वाला तामिया नगर ग्वालगढ पहाडी के नीचे बसा है| तामिया मुख्यमार्ग से आधा किमी की दूरी पर स्थित ग्वालगढ पहाडी से तामिया के खुशनुमा नजारे कुछ पल के लिये आपको बेफिक्र कर देते है| यहा से पूरा तामिया नगर नजर आता हैं|  इस पहाडी पर ग्वालबाबा का मंदिर स्थित है जिसे स्थापित करने में नगर के युवा राजेश साहू मरिया का महत्वपूर्ण योगदान है|साथ ही यहा पर आदीवासी समाज के आराध्य बडादेव का पुज्यस्थल है| ग्वालगढ पहाडी के ठीक पीछे विराट जलाशय है| तामिया में तेज़ बारिश के बाद कोहरे में पहाडी से विहंगम दृश्य उभरता है | यहा भी प्रतिवर्ष वाटर स्पोर्ट्स होते है | शैलचित्र - ग्वालगढ पहाडी के नीचे की सतह में वर्षो पुराने भित्ति चित्र है जिसे बीते कुछ सालो में चर्चा में आने के बाद प्रशासन ने सरंक्षित किया है , ग्वालगढ में शैलचित्र भी खास आकर्षण का केंद्र है |

चीड पाईंट

तामिया से छिंदवाडा मुख्य रोड पर महज 1 किमी दूरी पाईनस प्लांटेशन है जिसे देखकर सिलसिला का गीत ये कहा आ गये हम याद आता है |मनमोहक चीड के पेड सबको लुभाते है | जिम्नोस्पर्म प्रजाति का पाईनस का यह प्लांटेशन 1960 में फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टियुट ने किया था लेकिन अब ये देख्रेखके अभव में बदहालहै|

पातालकोट

विश्व प्रसिध्द पातालकोट जिले कि पहचान होने के साथ अत्यंत महत्वपूर्ण स्थल है| पातालकोट की नैसर्गिक सरंचना 1200 से 1500 फीट गहराई लिये हुये विस्तृत घाटीयो का मनोरम भूभाग हैं जो सतपुडा पर्वत की परतदार उंची किलानुमा श्रृखंलाओ से घिरा है |यह अद्वितिय विहंगम स्थल जिला मुख्यालय छिंदवाडा से उत्तर पश्चिम की और 62 किमी दूर तथा तामिया से पूर्व उत्तर की और 23 किमी पर बिजौरी हर्रई मार्ग के पास मे उत्तरी आक्षांश 22.24 से 22.29 डिग्री तथा पूर्वी देशांतर 87.43 से 87.50 डिग्री  के मध्य स्थित है | सम्पूर्ण पातालकोट 12 ग्रामो मे बंटा हुया है पातालकोट का क्षेत्रफल 79 वर्ग किमी है |समुद्र सतह से इसकी औसत उंचाई 3250 से 2750 फीट है पातालकोट के समीपवर्ती ग्राम सुखाभण्ड के निकट सतपुडा पर्वत सबसे उंची चोटी है ,जिसकी समुद्र सतह से 3754 फीट है | दर्शनीय स्थल पातालकोट में जंहा वर्ष भर  सैलानीयों के साथ साथ पातालकोट में बसे लोगो और जनजातीय जीवनशैली ,वहा उपलब्ध वनस्पतियों का अध्ययन करने बाहर से शोधार्थी आते है | तामिया से 27 किमी दूरी पर स्थित दर्शनीय स्थल पातालकोट में प्रतिवर्ष 23 से 29 अॅशक्टुम्बर के बीच आयोजित होने वाले एड्वेंचर स्पोर्ट्स  में दूर दूर के प्रकृति प्रेमी जुटते है | छिंदवाडा से दिल्ली के रोहिल्ला सराय स्टेशन तक जाने वाली ट्रेन “पातालकोट एक्सप्रेस’ का नामकरण इस क्षेत्र के नाम पर ही किया गया है |

रातेड

पातालकोट का ही एक गॉव तामिया से 21 किमी दूरी पर स्थित है बीजाढाना के आगे स्थित मैदानी हिस्से के नीचे 3 किमी रातेड स्थित है| रातेड ग्राम के उपर वाले मैदानी इलाके मे पर्यटन विकास के तहत अनेको कार्य हुये है| यहां प्रतिवर्ष 23 से 29 अक्टु बर के बीच आयोजित होने वाले एड्वेंचर स्पोर्ट्स में घुडसवारी,पैराग्लाईडिंग,पैरासाईक्लिंग,जोर्मिंग बाल पर्यटको के आकर्षण का केंद्र है| रातेड से कुछ दूरी पर प्राचीन गुफा देवखोह है| पातालकोट के अंदर बहने वाली दूधी नदी पर उछलकूद करना बडा ही रोमांचक है|

गैलडुब्बा

पातालकोट के अन्य गांवो में से एक गैल्डुब्बा भी सुंदर ग्राम है यहा मध्यप्रदेश विज्ञानसभा का कार्यालय है जंहा भारिया जनजाति के के रोज्गान्मुखी प्रशिक्षण कार्यक्रम सहित अन्य योजनाये संचालितहैं| एमपीव्हीएस के अमित दत्ता बताते है कि पातालकोट के अन्य गांवो में गैल्डुब्बा ही एक मात्र ऐसा गॉव है जंहा वाहन हर मौसम में पंहुचता है | खासा चर्चित “ पातालकोट शहद ” यही के आदिवासी परिवारो द्वारा एकत्र किया जाता है | छिंदी रोड पर गैल्डुब्बा रोड पर पातालकोट निवासी शेरसिंग के  ढाबे की मक्के की रोटी और टमाटर की चट्नी सिंगापुर तक प्रसिध्द है | पहाडो से घिरे गैलडुब्बा में मुख्यमंत्री श्री चौहान और पूर्व मुख्यसचिव शरदचंद्र बेहार सहित अन्य महत्वपूर्ण हस्तिया प्रवास कर चुकी है |

चिमटीपुर रेस्टहाउस

रातेड के उपर से सामने की पहाडी पर वन विभाग का चिमटीपुर रेस्टहाउस स्थित है| तामिया से 26 किमी दूरी पर स्थित चिमटीपुर छिंदी के पास हर्रई मार्ग  है ,यहा के रेस्ट हाउस से पातालकोट की हसीन वादिया मनमोह लेती हैं| यह प्रदेश के मुखिया शिवराजसिंह चौहान की भी पसंदीदा जगह हैं| वह गैल्डुब्बा सहित यहां दो बार आ चुके है|

गिरिजामाई

तामिया से 18 किमी की दूरी जुन्नारदेव मार्ग पर इटावा से मुत्तोर जाने वाले मार्ग पर 8 किमी पर गिरिजा माई का प्राचीन मंदिर स्थित है गौरतलब है कि रजवाडो के समय जागीर रहे मुत्तौर क्षेत्र में लगभग सौ वर्षो से भी आधिक काल से गिरिजामाई का प्रभाव क्षेत्र में माना जाता है| गिरिजामाई पुरातन समय से आमजन के आस्था का केंद्र है, गिरिजा माई के मंदिर में बीते आठ साल से पूजा पाठ का जिम्मा सम्भाल रहे सीताराम धुर्वे बताते है की गिरिजामाई के मंदिर में दुर दुर से लोग आते है | साफ मौसम में मंदिर के पीछे से चौडागढ की पहाडीसाफ नजर आती हैं| आज आवाजाही के आधुनिक साधन भले ही मिनिटो में दूरी कम करने लगे है लेकिन आदीवासी बहुल क्षेत्र में भोलेबाबा के दर्शन करने वाले जत्था आज भी महाशिवरात्री मे बडा महादेव की पद यात्रा में जाते समय यही से पूजा अर्चना कर यात्रा का श्री गणेश करते है |यह स्थान पर्यटन के नक्शे में अपना स्थान बना चुका है,उल्लेखनीय है कि लगभग 6 साल पहले अमेरिका के रेड्बेरी कम्पनी के सीईओ  एनआरआई एनके व्यास ने जिले के सांसद कमलनाथ की पहल पर मुत्तौर में 5 करोड की लागत से गोल्फ कोर्स बनाने की योजना बनाई थी |गोल्फकोर्स के निर्माण के  कार्य का जिम्मा पर्यटन विभाग के पास प्रस्तावित है |

अन्होनी कुंड

तामिया से 55 किमी दूरी पर स्थित गरम पानी के कुंड के लिये प्रसिध्द अन्होनी में हर साल मकर संक्रांती में मेला लगता है खौलते गरम पानी के चश्मे में स्नान करने की चाह श्रध्दालुयो को खींच लाती है | अन्होनी में सल्फर (गंधक) की अधिकता के कारण गरमपानी मिलता हैं|चर्म रोगो से पीडित रोगियो के लिये यह पानी अमृत है|  

सतधारा

देनवा नदी में किल्लोल करती लहरो के साथ पिकनिक मनाने वालो के लिये बहुत ही उम्दा स्पॉट है| झिरपा के पास देनवा नदी पर सतधारा में सात धारायो का अविरल बहाव मनोहारी नजारा बनाता है | तामिया से सतधारा की दूरी 40 किमी है | पर्यटन विकास को लेकर वाटर राफ्टिंग जैसे रोमांचक खेल यहा अक्टुबर में होते है |

तामिया से मुख्य नगरो की दूरी

नागपुर – 181 किमी,भोपाल – 239 किमी , छिंदवाडा – 56 किमी , सारनी (बैतुल) – 84 , जुन्नारदेव – 28 ,पचमढी – 81, पिपरिया (रेलवे स्टेशन) ‌- 76 किमी

रूकने की व्यवस्था

तमिया में वन विभाग का विश्राम गृह छोटामहादेव की पहाडी से सटा हुया है,फारेस्ट रेस्ट हाउस से चारो तरफ के मनमोहक नजारे आपका स्वागत करते है यही से इस बंदर कुदनी वाली पहाडी जाने का रास्ता है | इससे कुछ दूरे पर अंग्रेजो के जमाने में निर्मित लोक निर्माण विभाग का रेस्ट हाउस है | विहंगम दृश्यो से घिरे तथा समुद्र सतह से 957 मीटर उंचे इस स्थल से पचमढी की वायुमार्ग दूरी 18 किमी है |सामने तुलतुला पहाड और निचली और छिंदवाडा मटकुली मार्ग की घुमावदार सडके आडी तेढी रेखायों की मानिंद नजर आती है,रात मे यही दिलकश नजारा हो जाता है सडको से गुजरते वाहनोकी रोशनी टिमटिमते जुगनुओ सी लगती हैं| दोनो रेस्ट हाउस के बीचो बीच बने वाइल्ड वैली रिसोर्ट्स से भी बिलकुल रेस्टहाउस जैसा नजारा मिलता है यहा रूकने ठ्हरने की बेहतर सुविधा उपलब्ध है | छिंदवाडा से पिपारिया मुख्य मार्ग में अपने स्वाद के लिये प्रसिध्द प्रशांत ढाबा और संजु ढाबा के सामने की सडक दो सुरभि और राधाकृष्ण लॉज है |तामिया के ब्लॉक कालोनीक्षेत्र में ही 2 विश्रान गृह 1 होटल और 2 लॉज स्थित हैं| वही तामिया से छिंदवाडा मार्ग पर दो किमी की दूरी पर मध्यप्रदेश पर्यटन विभाग का टूरिस्ट मोटल स्थित है | मोटल के आसपास की हरियाली और रास्ता दोनो ही लुभावने है यहां से टहलते हुये उपर 2 किमी पर दलेल ग्राम और पहाडी पर पंहुचा जा सकता है | दलेल में एक रिटायर्ड फौजी द्वारा संचालित ग्लोबल सिक्युरिटी ट्रेनिंग एकेड्मी स्थित है|

उपलब्ध है बेहतर सुविधाये

तामिया में पहले की तुलना में अब बेहतर सुविधाये उप्लब्ध है | तामिया में लोक निर्माण विभाग और वन विभाग का आकर्षक विश्राम गृह है | मध्यप्रदेश पर्यटन विभाग ने तामिया के पर्यटन विकास के लिये टूरिस्ट मोटल का शुभारम्भ हाल ही में 4 माह पहले किया है,एमपीटी तामिया मोटल के प्रबंधक दिगंबर साहू बताते है कि यहा आने वाले पर्यटको को तामिया का खुशनुमा मौसम खासा लुभाता है| , वही पीडब्लूडी रेस्ट हाउस के पास नवनिर्मित इंटरप्रीटिशन सेंटर भी पर्यटको के लिये शीध्र शुरू होने वाला है | तामिया मे एकमात्र निजी होटल में वाइल्ड वैली रिसोर्ट और दो लॉज उपलब्ध हैं | पहले सरकारी गेस्ट हाउस में नही रूक पाने वाले यात्रीयो को परेशानी होती थी पर अब सुविधाये व्यापक स्तर पर मिल रही है | पातालकोट टूरिस्ट इंफॉर्मशन सेंटर के पवन श्रीवास्तव बताते है की तामिया में अब पर्यटको की रूचि बढ रही है लगातार बढती संख्या इस बात का प्रमाण है |वही खानपान की व्यस्था पहले की तुलना में तामिया में बेहतर है स्थानीय ढाबा,होटल और एमपीटी मोटल का जायका पर्यटक कभी नही भुलते इसी तरह तामिया से पातालकोट जाने पर छिंदी रोड पर गैल्डुब्बा रोड पर पातालकोट निवासी शेरसिंग के  ढाबे की मक्के की रोटी और टमाटर की चट्नी सिंगापुर तक प्रसिध्द है | बीते साल  सिंगापुर एसबीआई के अफसर श्री मनोज ,आईडीबीआई आंध्रा के श्रीविनोद आज भी पातालकोट के  स्वाद को नही भूल पाये है |

Thursday, 30 May 2013

दर्शनीय स्थल छोटा महादेव का निरंतर बहने वाला झरना बंद पर्यटन विकास के नाम पर विनाश की शुरुआत



दर्शनीय स्थल छोटा महादेव का निरंतर बहने वाला झरना बंद
पर्यटन विकास के नाम पर विनाश की शुरुआत
नितिन दत्ता
तामिया (छिंदवाडा) – पर्यटन के नक्शे में शुमार और मिनी पचमढी कहलाने वाले तामिया में घूमने आने वाले पर्यटको को अब निराश होना पडेगा क्योकि तामिया का प्रसिध्द दर्शनीय स्थल छोटा महादेव में निरंतर बहने वाला झरना कथित विकास की भेंट चढ गया है तामिया की जीवन रेखा माने जाने वाले झरने को बंद कर स्थानीय ग्राम पंचायत और लोक स्वास्थ यांत्रिकी विभाग ने बडे पाइप लगाकर नीचे टंकी बना दी है| पर्यटन विकास के नाम पर कांक्रीट के जंगल में तब्दील हो रहे तामिया में प्राकृतिक जलस्त्रोत मनमोहक अविरल झरने को बंद कर दिये जाने से स्थनीय लोगो में आक्रोश का माहौल है | पहले छोटा महादेव जाने के लिये कुछ दुर्गम रास्ता था उसके बाद भी भोलेनाथ के दर्शन करने श्रध्दालु एक किलोमीटर नीचे जाते थे छोटा महादेव में बारहमासी बहने वाला झरना प्रमुख आकर्षण का केंद्र था आज छोटा महादेव की यात्रा वन विभाग द्वारा बनाई पक्की सीडी और आकर्षक रैलिंग से आसन तो हो गई है लेकिन बरसो से प्रकृति प्रेमियो को लुभाने वाला झरना अब अपने अस्तित्व की लडाई लड रहा है | लगभग आठ हजार की आबादी वाले तामिया कस्बाई क्षेत्र में पेयजल के की पूरी व्यवस्था छोटा महादेव से होती है और तब भी झरना स्वतंत्र रूप से बहता था वर्तमान में पेयजल व्यवस्था के नाम पर प्रशासन ने झरना बंद कर पर्यटन विकास के नाम पर विनाश की शुरुआत कर दी है स्थानीय ग्राम पंचायत और लोक स्वास्थ यांत्रिकी विभाग ने लाखो खर्च कर बडे पाइप लगाकर झरने के नीचे टंकी बना दी है| झरने के मुख्य केंद्र से टंकी तक पाईप लगाकर जल संग्रह किया जा रहा है मंदिर क्षेत्र के आसपास लोहे के पाइपो का जाल बिछा हुया है अब अधिकारी भीषण गर्मी में स्थानीय आबादी को पेयजल उपलब्ध कराने का हवाला देकर पाईप हटाकर झरना स्थल से नीचे टंकी बनाने की बात कर रहे है |बीते साल तक सबकुछ सामान्य था लेकिन तामिया परियोजना द्वारा पेयजल व्यवस्था के लिये 79 लाख की राशि स्वीकृत की और उसके बाद स्थानीय पंचायत और पीएचई विभाग ने पाइप लाईन और अन्य कार्य शुरू किये स्थानीय लोगो की कम आवाजाही से सारे कार्य आसानी से हो गये अब लोगो को जैसे जैसे पता चल रहा है नाराजगी बढ रही है वही राजनैतिक दलो के स्थानीय लोगो का रवैया उदासीन है सबसे मजेदार बात यह है कि एक पटवारी का स्थानातंरण करवाने के लिये टेंट लगाकर धरना देने वाले कतिपय लोग और बडी सामायिक घटना पर तामिया बंद कर विरोध करने वाले बिल्कुल शांत है अभी तक समाजसेवी युवाओ के प्रयासो को छोड दे तो कोई बडा विरोध सामने नही आया है | झरने को लेकर अधिकारीयो के स्पष्ट मत नही है पीएचई के अधिकारी अब पाइप हटाकर नीचे टंकी बनाने की बात कह रहे है छोटा महादेव में जो लाखो खर्च के बाद जो स्थायी निर्माण कर पाइपो का जाल बिछाया गया है उस पर भी सवाल उठने लगे हैं | वही दूसरे विभाग कार्य में एनओसी ना देने वाले वन विभाग द्वारा तामिया वन परिक्षेत्र के कक्ष क्रमांक 214 में स्थित दर्शनीय स्थल छोटा महादेव में पर्यटन विकास के लिये चारो करोडो के निमार्ण कार्य कराये लेकिन पेयजल के नाम पर के नाम झरना को बचाने के कोइ प्रयास नही किये | पर्यटन विभाग ने तामिया के पर्यटन विकास के लिये टूरिस्ट मोटल का शुभारम्भ 4 मार्च को किया था वही पीडब्लूडी रेस्ट हाउस के पास नवनिर्मित इंटरप्रीटिशन सेंटर शुरू नही हो सका है प्राकृतिक झरना बंद होने से इसका खामियाजा सभी को भुगतना पडेगा |
एक नजर में छोटामहादेव- छिंदवाडा जिले के तामिया तहसील मुख्यालय क्षेत्र तामिया में वन विभाग के रेस्ट हाउस से एक किलोमीटर नीचे सघन वन क्षेत्र में स्थित दर्शनीय स्थल छोटा महादेव पहाडियो से घिरा है छोटा महादेव में प्राकृतिक रूप से अनेको जलस्त्रोत है पहाडियो से रिसकर आने वाला पानी चारो तरफ सुंदर मनोहारी दृश्य बनाता है वर्षभर सैलानी छोटा महादेव पंहुचते है वही शिवभक्तो की आवाजाही भी हमेशा रहती है नववर्ष मकर संक्रंति और शिवरात्री में छोटा महादेव में श्रध्दालुयो का हुजुम उमड पडता है वन विभाग के विश्रामगृह से समीप नीचे की जाने पर ही रमणीक दृश्य सामने आ जाते है नीचे जाने के ठीक पहले एक प्राचीन समाधि स्थित है जहां हर आते जाते लोग एक पत्थर फेकते थे अब ऐसा कम ही होता है | अब एक किमी की गहराई के शुरू होने से पहले ही बंदरकुदनी नुमा छोटी पहाडी के नीचे कुछ सीडीया उतरने पर वन विभाग की बनाई लोहे की चबुतरामय छतरी नजर आती है उस से दांई और कुछ कदम चलने पर बारीश में धसके हुये पहाड के बडे बडे चट्टानी टुकडो के बीच टेढे मेढे रास्ते से होकर गुजरते हुये सीधा कच्चा रास्ता मिलता है वहा भी भूस्खलन के चलते मिट्टी और पत्थर के बीच पहाडो से रिसता पानी जमीन पर मिलता है यही से भगवान भोलेनाथ और झरने के पास पहुचने का एक पगडंडीनुमा रास्ता भी मिलता है सीधे चलने पर बांयी और ग्राम पंचायत तामिया का पम्पहाउस और दांयी तरफ पानी से भीगी काई की हरी चादर लपेटे पहाडी दीवार आपका स्वागत करती है इन चट्टानो में जिम्नोस्पर्म प्रजाति के फर्न और अन्य वनस्पतिया नजर आती है इस हरी दीवारो पर उकेरे कुछ नाम लिखे नजर आते है अगर आप खुए आसमान की और देखे तो पहाडो के बीच का नजारा आपके बढते कदमो को रोक देगा उपर दिखने वाली लाल पहाडी में गिध्दो का संरक्षित क्षेत्र है यानी पर्यटको को लुभाने वाला वल्चर पाईंट इस पहाडी के उपर है जहा जाने का रास्ता रेस्टहाउस के पास से है इसके उपर भी वन विभाग ने रैलिंग और वल्चर पाईंट का निर्माण किया है| इस से आगे बढकर कुछ दुर चलते ही पक्की सीडीयो की लम्बी ढलान से नीचे उतरने पर एक छोटा झरना आपका स्वागत करता है यहा पर भी पक्की टंकी बनाकर जल संग्रह किया जा रहा है | इसके ठीक आगे सुरदास बाबा की समाधि है जनचर्चा के अनुसार वर्षो पहले छोटा महादेव के शिवमंदिर में पुजारी रहे नेत्रहीन सुरदास बाबा की चोरो ने दानपेटी के रुपैयो को लूटने को लेकर हत्या कर दी थी यहा से थोडा नीचे जाने पर देवी पार्वती मंदिर के पास एक और छोटा झरना बहता था अब उस पर भी पाइप लगा दिया गया है पार्वती मंदिर के पास से गुजरती हुई बरसो पुरानी छोटी गुफा है जन सहयोग से बने पुराने पार्वती मंदिर जर्जर अवस्था में है यहा की टाइल्स सहित जमीन का छोटा टुकडा धंस गया है इस मंदिर से लगी चट्टानी दीवार से सटकर आप भोलेनाथ के मंदिर और झरने के पास पंहुचते है प्राचीन शिवमंदिर में पास ही स्थित झरने से भोलेनाथ के मंदिर में पहले एक खोखले बांस से शिवलिंग के उपर पानी आता था लेकिन अब वैसा नजारा नदारद हैं | मंदिर में अब भोलेनाथ भी पानी के अभाव में हैं | झरने के मुख्य केंद्र में पाइप लगाकर नीचे की और एक बडी टंकी का स्थाई निर्माण किया गया है जिसमें उपर के छोटे और बडे झरने से जल संग्रह किया जा रहा है इसके ठीक नीचे झरने का पानी पहले कलकल की सुमधुर ध्वनी के साथ सभी को लुभाता था हर धर्म सम्प्रदाय,हर क्षेत्र हर आयुवर्ग के लोग यहा आज भी प्रकृति के शांत वातावरण में पिकनिक मनाने पहुचते है लेकिन झरने की खामोशी अब सबको चुभती है यहा तामिया के बच्चो की बाल गणेश समिति मकरसक्रंति,शिवरात्री में भंडारे का आयोजन करती है वही यहा बीते वर्षो से हर साल गर्मी में भगवान शिव का अभिषेक चल रहा है, अभिषेक में जुटे शिव समिति के लक्ष्मीकांत सोनी प्रकाश डेहरिया सहित अन्य श्रध्दालु झरने को बंद करने से खासे नाराज है साथ ही धार्मिक आस्था के इस केंद्र का वजुद बचाने लामबंद हो रहे है
किसने क्या कहा- ब्लॉक कालोनी निवासी और समाजसेवी युवा पवन श्रीवास्तव बताते है कि छोटा महादेव में पहले अनेको जलस्त्रोत थे हम बचपन में मुख्य झरना छोड किसी भी जंगली रास्तो से जाकर पिकनिक मनाते थे तब हर तरफ हर स्थान पिकनिक स्पॉट था आज प्रकृति ने हमें जो झरना उपहार दिया है उसे बचाना हम सबका सामाजिक दायित्व है |झरना बंद किये जाने से नाराज युवा व्यवसायी और समाजसेवी यशवंत सिंग कौरव कहते है कि झरने की प्राकृतिक नैसर्गिक सुंदरता को खराब किये बिना भी पानी प्राप्त किया जा सकता है झरने का मूल स्वरूप परिवर्तित किये बिना निचले हिस्से में भी जल संग्रह किया जा सकता है श्री कौरव ने बताया कि प्राकृतिक जलस्त्रोत वाले झरने को बंद नही किया जा सकता इस मामले को लेकर माननीय उच्चन्यायालय में जनहित याचिका दायर करेंगे |युवा संतोष साहु कहते है कि कई सालो से पानी पहले भी सप्लाई होता था तब झरने के मुह में पाइप लगाये बिना भी पानी मिलता था आज पाइप के बाद झरने से गिरती बुंदो को आप बहना नही कह सकते | हम झरने को बचाने संघर्ष करेंगे | शिक्षक राजेंद्र सिंग राजपूत कहते हैं तामिया में पेयजल व्यवस्था के लिये स्थायी विकल्प खोजना जरुरी है छोटा महादेव में बारीश में पहाडो के स्खलन से पाइपलाईन क्षतिग्रस्त हो जाती है तामिया की बढती आबादी के यह जरुरी है इससे प्रकृतिक सौन्दर्य और संसाधन दोनो बचे रहेंगे | तामिया में जागरूक युवायो में दिनेश राय नितिन दत्ता,चंद्रशेखर श्रीवास,राजेंद्र यादव,शब्बीरहसन जाफरी दिनेश मालवीय बाबा ठाकुर हिरदेश धुर्वे डॉ.कुलडीप,राजेंद्र यादव शिव साहू सहित अन्यजन प्राकृतिक झरने को बचाने की मुहिन में जुटे हुये है | 











अधिकारी उवाच –
मुझे इस बारे में आपसे जानकारी मिली है में इस बारे में देखता हूं |
‌- महेशचन्द्र चौधरी, कलेक्टर ,छिंद्वाडा
एसडीओ को छोटा महादेव मुययना के लिये भेजा गया था | तामिया की आबादी को पेयजल उपलब्ध कराने के लिये पाइप लगाकर टंकी में जल संग्रह किया जा रहा है झरना बंद नही हुया गर्मी में उस से पानी कम आता है |
-एकेएस चौहान, डीएफओ,पश्चिम वनमंडल सामान्य छिंदवाडा
गरमी में पानी की समस्या के लिये पाइप लगाकर टंकी में जल संगह किया जा रहा है झरने से पाईप हटाकर टंकी नीचे बनाई जावेगी |
- एमके जैन ,एसडीओ, लोक स्वास्थ यांत्रिकी विभाग,परसिया

Friday, 19 April 2013

डाक विभाग खा गया साउथ अफ्रीका से छिंदवाड़ा के लिए आए जूते

तामिया (छिन्दवाड़ा)। भारतीय डाक सेवा की लचर कार्य प्रणाली से उपभोक्ताओं को नुकसान उठाना पड़ रहा है, शिकायत दर शिकायत के बाद भी नतीजा सिफर है । अन्तर्राष्ट्रीय सामान्य डाक सेवा से छिन्दवाड़ा जिले के तामिया आया एक पार्सल उपभोक्ता के हाथ पहुंचा तो खाली डब्बा था।

तामिया के शिक्षक राजेन्द्रसिंह राजपूत को साउथ अफ्रीका पोस्ट आफिस विन्टरटन से 21 फरवरी 2013 को 14:15 बजे उनके साले श्री अजमेर सिंह राजपूत निवासी डार्कआयल मिल प्रा.लि. 9 किंग स्ट्रीट विन्टरटन, के.जेड.एन. पोस्ट बाक्स 187 विन्टरटन, 3340 ने नाईक फ्री ट्रेनर 0.5 मल्टी शू और के स्विस ब्लेड लाईटरन व्हाइट शूज अन्तर्राष्ट्रीय सामान्य पार्सल में सी.एन. 001646878 जेड ए. विन्टरटन से तामिया जिला छिन्दवाड़ा निवासी राजेन्द्रसिंह राजपूत के पते पर भेजे थे जिसकी कीमत साउथ अफ्रीका की मुद्रा में 1998 रेन्ड तथा जिसका मूल्य भारतीय मुद्रा में 11988 है।

अपने संबंधी को पार्सल भेजने पर अजरमेर सिंह राजपूत द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय डाक खर्च के   शुल्क के रूप में 500 रेन्ड यानी भारतीय मुद्रा में 3000 चुकाये गये भारत आने के बाद जूतो का यह पार्सल मुम्बई स्थित कस्टम विभाग के कब्जे में रहा। तामिया के राजेन्द्रसिंह राजपूत द्वारा सहायक पोस्ट मास्टर तामिया और भारतीय डाक सेवा के वेव ट्रेकिंग में की गई शिकायत के मुताबिक 25 फरवरी 2013 को साउथ अफ्रीका से भारतीय डाक सेवा के माध्यम से पार्सल भेजा गया था, जिसका क्रमांक सी.एन. 001646878 जेड ए. 28 फरवरी को मुम्बई स्थित फारेन पोस्ट आफिस पहुंच गया था और वहां पर पार्सल रूका पड़ा था दिनांक 12 मार्च को श्री राजपूत द्वारा आन लाईन शिकायत के बाद मुम्बई पोस्ट आफिस से श्री राजपूत तामिया को फोन आया कि आपका पार्सल 14 मार्च को भेजा रहा है।
मुम्बई पोस्ट आफिस ने डाक भेजने की सूचना के साथ हिदायत भी दी कि मध्यप्रदेश में पार्सल पहुंचने पर उसमें से सामान चोरी हो जाता हैं। श्री राजपूत को तामिया में दिनांक 23 मार्च 2013 को खाली पार्सल प्राप्त हुआ जिसके कोने से सील पूरी लगी थी लेकिन पार्सल में कुछ भी नहीं था, पार्सल के टेप को काटकर रद्दी खडडे भरे हुये थे श्री राजपूत ने तत्काल पोस्टमेन सीताराम यादव तथा क्षेत्र के गणमान्य नागरिक श्री यू.पी. भार्गव एवं श्री रफीक खान के समक्ष पार्सल देखा जो खाली था और पोस्टमैन द्वारा पार्सल विभाग की डिलेवरी पर्ची में हस्ताक्षर कर उल्लेखित किया कि पार्सल खाली प्राप्त हुआ है। उस पर्ची में पार्सल प्राप्तकर्ता, पोस्टमैन और दो अन्य लोगो के हस्ताक्षर हैं।
तामिया एवं इंडियन पोस्ट कस्टमर केयर में आन लाइन शिकायत दर्ज करायी गई जिसका अभी तक कोई जबाव प्राप्त नहीं हुआ । वही आन लाईन स्टेटस देखने पर इंडियन पोस्ट आफिस कस्टमर केयर ने शिकायत दर्ज कर खारिज कर दी है। इस पूरे मामले को लेकर शिक्षक श्री राजपूत उपभोक्ता फोरम में वाद दायर करने का मन बना रहे है। इस संबंध में पोस्ट मास्टर जनरल प्रदेश कार्यालय भोपाल कि सीनियर पी.एस. श्रीमति सोमन ने बताया कि इस मामले की शिकायत मिलने पर कार्यवाही की जावेगी।